नौसेना प्रमुख ने बजट में हुई कटौती पर जताई चिंता, कहा- आधुनिकीकरण के लिए मांगेंगे अतिरिक्त राशि

नौसेना दिवस के एक दिन पहले एडमीरल करमबीर सिंह ने जहां एक ओर नौसेना की उपलब्धियों को गिनाया वहीं उन्होंने नौसेना के बजट में लगातार हो रही कमी पर चिंता जाहिर की। उन्होंने कहा कि रक्षा बजट में नौसेना का हिस्सा कम हो रहा है। उन्होंने बताया कि वित्तवर्ष 2012-13 में नौसेना को रक्षा बजट का 18 फीसदी मिलता था। वहीं वित्त वर्ष 2018-19 में यह घटकर 13 फीसदी पर पहुंच गया है।


 

उन्होंने कहा कि नौसेना के आधुनिकीकरण के लिए सरकार से अतिरिक्त बजट की मांग की जाएगी। उन्होंने जानकारी दी कि 2022 तक देश में निर्मित एयरक्राफ्ट कैरियर बेड़े में शामिल कर लिया जाएगा। नौसेना की योजना तीन बड़े देसी एयरक्राफ्ट कैरियर शामिल करने की है।  

भारतीय नौसेना हालात का मुकाबला करने के लिए पूरी तरह सक्षम है। नौसेना भारतीय कोस्ट गार्ड और अन्य एजेंसियों के साथ मिलकर अपनी सुरक्षा संबंधी भूमिका बखूबी निभा रहा है। एडमिरल सिंह ने कहा कि नौसेना का पॉलिसी बिल्कुल साफ है कि अगर कोई भी जहाज भारतीय इलाके में आता है तो उसे पहले अनुमति लेनी होगी। 

एक तरफ चीन बड़े पैमाने पर नौसेना का विस्तार कर रहा है ऐसे में रक्षा बजट में नौसेना की हिस्सेदारी घटाने पर चिंता जताई। भारतीय नौसेना द्वारा सितंबर में भारत के विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र से चीनी पीएलए के पोतों को खदेड़े जाने के संदर्भ में नौसेना प्रमुख ने जोर देकर कहा कि ऐसी गतिविधियों से सख्ती से निपटा जाएगा।

नौसेना की दीर्घकालीन योजना है कि उसके पास तीन विमानवाहक पोत हों जिसमें दो पोत हिंद महासागर में तैनाती के लिये हमेशा तैयार रहें। नौसेना दिवस की पूर्व संध्या पर आयोजित संवाददाता सम्मेलन में नौसेना प्रमुख ने कहा कि स्वदेश में विकसित पहला विमानवाहक पोत 2022 तक पूरी तरह परिचालन में आ जाएगा और उस पर मिग-29 के विमानों का बेड़ा तैनात होगा।

उन्होंने कहा कि योजना के मुताबिक दूसरा स्वदेशी विमानवाहक पोत 65 हजार टन कोटाबार विमानवाही पोत होगा जिसमें इलेक्ट्रिक प्रोपल्शन होगा तथा जल्द ही इस परियोजना की मंजूरी के लिये नौसेना सरकार से संपर्क करेगी। नौसेना फिलहाल रूसी मूल के आईएनएस विक्रमादित्य का संचालन कर रही है जो भारत का एक मात्र विमान वाहक पोत है।

हिंद महासागर क्षेत्र में चीनी घुसपैठ पर एडमिरल सिंह ने कहा कि हर समय सात से आठ चीनी पोत आम तौर पर क्षेत्र में मौजूद रहते हैं। यह पूछे जाने पर कि मिलन नौसैनिक अभ्यास के लिये 41 अन्य देशों के साथ चीन को आमंत्रित क्यों नहीं किया गया, उन्होंने कहा कि समान विचार वाले राष्ट्र इसका हिस्सा होंगे।

एडमिरल सिंह ने राष्ट्र को यह भी आश्वस्त किया कि राष्ट्रीय सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिये नौसेना पूरी तरह तैयार है। प्रस्तावित चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) पर उन्होंने कहा कि रणनीतिक योजनाओं को लागू करने के लिये उसके पास पर्याप्त शक्तियां होनी चाहिए।

नौसेना के आधुनिकीकरण योजना के संदर्भ में एडमिरल सिंह ने कहा कि यह तथ्य है कि पिछले पांच वर्षों में नौसेना का वार्षिक बजट आवंटन 18 प्रतिशत से घटकर 13 प्रतिशत पर आ गया है। उन्होंने कहा, उम्मीद है कि हमें कुछ अतिरिक्त राशि मिलेगी। जानकारी के मुताबिक बल के आधुनिकीकरण के लिये पर्याप्त रकम की आवश्यकता को लेकर नौसेना पहले ही प्रधानमंत्री कार्यालय को संदेश भेज चुकी है।

उन्होंने कहा कि भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के बीच बने गठजोड़ की फिलहाल हिंद-प्रशांत क्षेत्र में कोई सैन्य भूमिका नहीं है। नौसेना प्रमुख ने कहा कि भारत हिंद-प्रशांत क्षेत्र में संतुलन कायम करने की भूमिका निभा रहा है। चीनी नौसेना के व्यापक विस्तार के बारे में पूछे जाने पर एडमिरल सिंह ने कहा कि वे अपनी क्षमता के अनुकूल बढ़ रहे हैं और हम अपनी क्षमता के हिसाब से चल रहे हैं।